[15 जनवरी को सूर्योदय
के पश्चात स्नान और दान पुण्य के लिए श्रेष्ठ ]
तिथि,काल,और
सूर्य -पृथ्वी की गति
के कारण इस
बार मकर संक्रांति
का महापर्व 15 जनवरी
को मनाया जायेगा,मकर संक्रांति
पर्व पर 83 साल
बाद 15 जनवरी को उच्चस्थ
बृहस्पति से तीन
ग्रहो का समसप्तक
योग भी बनेगा,
उच्चस्थ बृहस्पति का समसप्तक
योग अभागे 35 साल
बाद मानेगा,मकर
राशि में सूर्य,शुक्र और बुध
के यो में
उच्चस्थ बृहस्पति ये योग
बनायेगा,हमारे ज्योतिषविदों के
मुताबिक ये योग
सरकारी योजनाओं में जनता
को पूर्ण लाभ
देनेवाल साबित होगा।
मकर संक्रांति का पर्व इस बार दो दिन मानेगा। सरकार की और से तो 14 जनवरी को मकर संक्रांति का अवकाश घोसित किया गया है,जबकि मकर संक्राति का सर्वश्रेष्ठ पुण्यकाल 15 जनवरी को रहेगा,इस तरह पर्व 2 दिन मानेगा। सूर्य यु तो 14 जनवरी को शाम 07.28 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश कर जायेगा। शास्त्रो में संक्रांति काल से पहले के 6 घंटे 24 मिनिट और बाद के 16 घण्टे पुण्यकाल माना जाता है.पुण्यकाल 14 जनवरी को दोपहर 01. 04 मिनट से शुरू हो जायेगा। जो 15 को सुबह 11.28 बजे तक रहेगा।संक्रांति काल संध्या काल में है। शास्त्रो में उदय काल में संक्रांति का पुण्यकाल श्रेष्ठ माना गया है। इसी दिन दान पुण्य का महत्व माना गया है।
हर दो साल में अंतर --- साल 2016 में भी मकर संक्रांति 15 को ही मनेगी। फिर मकर संक्रांति मानाने का ये क्रम हर दो साल में बदलता रहेगा। लीप ईयर वर्ष आने के कारण मकर संक्रांति वर्ष 2017 व 2018 में वापस 14 को ही मकर संक्रांति मनाई जाएगी। साल 2019 -20 को 15 को मनेगी। ये क्रम 2030 तक युही चलेगा। इसके बाद 3 साल 15 तारीख को और एक साल 14 तारीख को मकर संक्रांति मनेगी। फिर 2080 के बाद से 15 तारीख को ही मकर संक्राति मनाया जाना शुरू हो जायेगा।
इसलिए होता है ये-----पृथ्वी की गति प्रति वर्ष 50 विकला [ 5 विकला = 2 मिनट ] पीछे रह जाती है। वाही सूर्य संक्रमण आगे बढ़ता जाता है। हलाकि लीप ईयर में ये दोनों वापस उसी स्थिति में आ जाते है। इस बीच प्रत्येक चौथे वर्ष में सूर्य संक्रमण में 22 से 24 मिनट का अंतर आ जाता है। यह अंतर बढ़ते -बढ़ते 70 से 80 वर्ष में एक दिन हो जाता है। इस कारण मकर संक्रांति का पावन पर्व वर्ष 2080 से लगातार 15 जनवरी को ही मनाया जाने लगेगा
इसलिए होता है ये-----पृथ्वी की गति प्रति वर्ष 50 विकला [ 5 विकला = 2 मिनट ] पीछे रह जाती है। वाही सूर्य संक्रमण आगे बढ़ता जाता है। हलाकि लीप ईयर में ये दोनों वापस उसी स्थिति में आ जाते है। इस बीच प्रत्येक चौथे वर्ष में सूर्य संक्रमण में 22 से 24 मिनट का अंतर आ जाता है। यह अंतर बढ़ते -बढ़ते 70 से 80 वर्ष में एक दिन हो जाता है। इस कारण मकर संक्रांति का पावन पर्व वर्ष 2080 से लगातार 15 जनवरी को ही मनाया जाने लगेगा
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